Chhath Puja छठ पूजा

Chhath Puja (छठ पूजा) Pratihar Sashthi

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Chhath Puja छठ पूजा

Chhath Puja छठ पूजा

About Chhath Puja छठ  महोत्सव के बारे में :

छठपूजा अथवा छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। पहला छठ पर्व चैत्र माह के  दूसरे कार्तिक माह में उल्लास के साथ मनाया जाता है| चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी चैती , छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कार्तिकी छठकहा जाता है| यह पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है| यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।  हिंदू धर्म के अनुसार, सूर्य पूजा में
इस तरह के कुष्ठ रोग, आदि जैसे रोगों की एक श्रृंखला के इलाज से संबंधित है ।

ACCREDITATION मान्यता :

हिन्दू धर्म में छठ पर्व का अत्यंत महत्वपूण स्थान है और स्त्री एवं पुरुष एक सामान रूप से इस पर्व को धूम धाम से मनाते हैं| यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है| पहले दिन यानि चतुर्थी तिथि ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया धूम धाम जाता है| कहा  जाता है की और इस दिन संध्याकाळ में उपासक प्रसाद के रूप में दिन पंचमी को खरना व्रत करते है और इस दिन संध्याकाळ में उपासक प्रसाद के रूप में रोटी ,गुड-खीर और फल आदि का सेवन करते है और आने वाले 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखते हैं| माना जाता है कि खरन पूजन से ही माँ छठ देवी प्रसन्न होती है और घर में वास करती है| छठ देवी सूर्य देव की बहन है , इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सब लोग सूर्यदेव को प्रसन्न करते है| गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर सूर्यदेव की आराधना मन से  की जाती है और छठ पर्व मनाते हैं |

Chhath Puja 2016 Dates छठ पूजा तिथि(वर्ष 2016) :

छठ पूजा चार दिनों तक मनाया जाने वाला अत्यंत महत्वपूर्ण और कठिन महापर्व होता है|

छठ पर्व तिथि                :             6 November 2016, Sunday
सूर्योदय, छठ तिथि         :           प्रातः काल 06:36, 6 नवम्बर 2016
सूर्यास्त, छठ तिथि         :            सांय काल 05:32, 6 नवम्बर 2016
षष्ठी तिथि प्रारंभ             :           सुबह 10:47 बजे से, 5 नवम्बर 2016
षष्ठी तिथि समाप्त           :           दोपहर 12:16 बजे तक, 6 नवम्बर 2016

Chhath Puja Katha छठ पूजा कथा :

प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी थी , वो दोनों  बहुत खुशी से रह रहे थे लेकिन उनके जीवन में एकबड़ा दुख था की उनके कोई संतान नही थी । एक बार महाराज ने महर्षि कश्यप से अपना  दुख व्यक्त करते हुए पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा , और महर्षि ने पुत्रेष्टि यज्ञ का परामर्श दिया। यज्ञ के बाद महारानी ने सुन्दर पुत्र को जन्म दिया, किंतु वह शिशु मृत हुआ था। पूरे नगर में शोक व्याप्त हो गया। राजा बहुत दुखी हो गया और आत्महत्या करने का निर्णय बना लिया।

Chhath Puja 2016 Dates

Chhath Puja 2016 Dates

अचानक, एक आश्चर्यजनक घटना घटित हुई | एक ज्योर्तिमय दिव्याकृति नारी प्रकट हुई, राजा द्वारा देवी की स्तुति करने पर देवी ने उनसे कहा- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूँ और मैं विश्व के समस्त बालकों की रक्षा करती हूँ और अपुत्रों को पुत्र प्राप्ति का वरदान देती हूँ। देवी ने शिशु के मृत शरीर का स्पर्श किया और वह बालक जीवित हो उठा। महाराज के प्रसन्नता की सीमा न रही और वे अनेक प्रकार से षष्ठी देवी की स्तुति करने लगे। राज्य में हर साल  प्रति मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी को षष्ठी-महोत्सव के रूप में मनाया जाए-राजा ने ऐसी घोषणा की । तभी से सभी परिवार बालकों के जन्म, कल्याणार्थ,अन्नप्राशन ,नामकरण आदि शुभ अवसरों पर षष्ठी-पूजन प्रचलित हुआ।

Traditions of Chhath Puja रस्में और छठ पूजा की परंपरा :

इस त्यौहार के दोरान न तो कोई किसी मन्दिर में  जाता है, और न ही घर की कोई सफ़ाई की जाती है। इससे ऐसा लगता है  कि यह पर्व बहुत ही आसानी से  या बिना किसी कर्मकाण्ड के मनाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है छठ व्रत पूर्ण नियम तथा निष्ठा से किया जाता है| श्रद्धा भाव से किए गए इस व्रत इनि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति के साथ साथ वर्धि होती है | जो व्रत करता है उशका जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है|

Chhath Puja Stages’s छठ पूजा के चरण :

 छठपूजा में कार्तिक शुक्ल चतुर्थी के दिन-स्नानादि से निवृत्त होकर पवित्रा पूर्वक रसोई बनाकर भोजन किया जाता है।

 पंचमी को दिन भर उपवास करके सायंकाल किसी तालाब या नदी में स्नान करके भगवान भास्कर को अर्ध्य देने के बाद अलोना भोजन किया जाता है।

 संकल्प करने के बाद दिन भर निराहार व्रत करके सायंकाल किसी नदी या तालाब पर जाकर स्नान कर भगवान भास्कर को अर्ध्य प्रदान करें।

 एक बांस के सूप में केला और विभिन्न प्रकार के फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर सूप को एक पीले वस्त्र से ढक दें और धूप-दीप जलाकर सूप में रखने के बाद दोनों हाथों में लेकर-

ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥

 इन मंत्र से तीन बार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य प्रदान करें। रात्रि जागरण के बाद प्रात: काल उदीयमान सूर्य को इसी प्रकार अर्ध्य देकर पारण करें।

छठ पूजा के लाभ :

 छठ पूजा से भक्त के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आ जाता हैं।

 त्वचा संक्रमण की एक किस्म की बीमारी को सूर्य के प्रकाश से सुसोभित विकिरण के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

 सौर ऊर्जा के द्वरा हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान करता है।

 प्राणायाम, योग, ध्यान से भी शरीर और मन पर नियंत्रण करने के लिए उपयोगी हैं।

Importance of Chhath Puja छठ पूजा का महत्व :

छठ पूजा का महत्व सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही होता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान जो एक मानव के शरीर को सुरक्षित रूप से और बिना किसी नुकसान के सौर ऊर्जा को प्राप्त कर सकता है। इस अवधि के दौरान सौर ऊर्जा से पराबैंगनी विकिरण का स्तर कम होता है जो मानव शरीर के लिए सुरक्षित है। लोग इस क्रम में पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के साथ-साथ आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और भगवान सूर्य का शुक्रिया अदा करने के लिए छठ पूजा करते हैं।

देश-विदेशों में रहने वाले लोग भी इस पर्व को बहुत धूम धाम से मनाते हैं. सूर्य देव और छठी मइया भाई-बहन है, छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है. इसे करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है. छठ के दौरान लोग सूर्य देव की पूजा करतें हैं ,इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते

Chhath Puja (छठ पूजा)

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